CLAT Examination 2025:-लगातार बढ़ रह आकर्षण
अपनी एक अलग पहचान बनाने और बेहद सम्मानजनक करियर की दृष्टि से लॉ सेक्टर का आकर्षण युवाओं में लगातार बढ़ रहा है। हर साल एनएलयू कंसोर्टियम की ओर से आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट। जिसे की हम क्लैट(CLAT) कहते हैं। देश की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज़, राज्य यूनिवर्सिटीज़ तथा कॉलेजों में लॉ की डिग्री कोर्स संचालित किया जाता है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ प्रोग्राम में प्रवेश कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट क्लैट के आधार पर ही होते हैं। यह परीक्षा हर साल NLU CONSORTIUM के द्वारा आयोजित की जाती है। किसी भी स्ट्रीम से बारहवीं उत्तीर्ण छात्र छात्राएं इस प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। यहाँ से 5 साल का इंटिग्रेटेड लॉ कोर्स करने पर स्नातक और एलएलबी दोनों की डिग्री एक साथ मिल जाती है।
CLAT परीक्षा के लिए एग्जामिनेशन फॉर्म भरने का समय 15 अक्टूबर 2024 तक है | 2025 CLAT की परीक्षा तिथि 1 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है | इस परीक्षा में शामिल होने वाले लाखों लड़के लड़कियों का उदाहरण हमारे सामने है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि इस क्षेत्र में साइबर लॉ, कंपनी लॉ, पेटेंट लॉ, जीएसटी, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स या फिर लॉ फर्म जैसे कई नए क्षेत्र जुड़ गए हैं। इससे भी इसका आकर्षण और बढ़ गया है। इस क्षेत्र में विकल्पों की भरमार है जैसे सरकारी क्षेत्र। सरकारी क्षेत्र में सबसे अधिक अवसर जज, कोर्ट ऑफिसर और सरकारी वकील शासकीय अधिवक्ता के रूप में उपलब्ध है।
दूसरा जज के रूप में लॉ की डिग्री लेने के बाद आज भी यह सबसे अधिक आकर्षण विकल्पों में से एक है। आप लॉ की पढ़ाई करके जिला न्यायालयों, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट आदि में जज के रूप में अपना करियर शुरू कर सकते हैं।इस क्षेत्र में जज बनने की इच्छा रखने वालों के लिए सबसे पहले सीढ़ी है।
CLAT Examination 2025:-पीसीएस-जे परीक्षा
राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा हर साल पीसीएस-जे परीक्षा का आयोजन किया जाता है। लॉ में स्नातक में डिग्री रखने वाले युवा यह परीक्षा दे सकते हैं। विभिन्न राज्यों में यह परीक्षा अलग अलग नामों से हो सकती है। इस परीक्षा के माध्यम से ही हर साल जिला न्यायालयों में जज की नियुक्ति की जाती है। पिछले कुछ वर्षों से इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों में महिलाओं की अच्छी खासी संख्या देखी जा रही है। पीसीएस जे के अलावा 10 वर्ष तक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में वकालत का अनुभव हासिल करके भी इन न्यायालयों में जज बनाया जा सकता है। हर साल तमाम राज्यों की हाईकोर्ट कॉलेजियम अच्छे वकीलों को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपने यहाँ नियुक्त करती रहती है। वकीलों, महाधिवक्ताओं के अलावा निचली अदालतों में अपने अच्छे फैसलों के चलते भी तमाम जिला जज पदोन्नत होकर आगे चलकर राज्यों में हाई कोर्ट में जज बनते है, सीबीआइ कोर्ट, स्पेशल कोर्ट के जज बनते है।
CLAT Examination 2025:-सरकारी वकील के रूप में
लॉ करने के बाद इस क्षेत्र में सरकारी वकील, शासकीय अधिवक्ता, अटॉर्नी जनरल, एडिशनल अटॉर्नी जनरल के रूप में भी करियर बनाया जा सकता है। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और सरकारी एजेंसी जैसे कि सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स आदि में ये एक तरह से प्रतिनिधि होते हैं जो किसी भी न्यायिक मामले में सरकार की ओर से वकालत करते हैं। ये शासकीय वकील अपने अनुभव के आधार पर राज्य सरकार, केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
CLAT Examination 2025:-निजी क्षेत्र में अवसर।
देश में स्टार्टअप एंटरप्रेन्योरशिप और कॉर्पोरेट गतिविधियों को बढ़ावा मिलने से लीगल प्रोफ़ेशन के इस क्षेत्र ने लॉ के लिए नई संभावनाएँ पैदा कर दी है। इन सब जगहों पर आज लीगल कंसल्टेंटस, कॉर्पोरेट लॉयर की जरूरत होती है। ये लॉ एक्स्पर्ट ही कंपनियों के लीगल डॉक्यूमेंटेशन का काम देखने के अलावा सरकारी विभागों और न्यायालयों में उनकी पैरवी करते हैं। इसके अलावा किसी भी कोर्ट में अधिवक्ता या वकील के रूप में भी अपना करियर बना सकते हैं।
CLAT Examination 2025:-न्यायाधिश के रुप में लगातार बढ़ती महिलाओं की संख्या

हाल के वर्षों में लॉ की पढ़ाई के लिए लड़कों के साथ साथ लड़कियों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। जिला न्यायालयों में महिला जजों की बढ़ती संख्या से भी उन्हें प्रेरणा मिल रही है। लॉ की डिग्री से करियर की कई राहें खुल जाती हैं। लड़कियों के लिए न्यायिक क्षेत्र में जज बनने के अलावा कॉर्पोरेट लॉ और सीएस जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए उपयुक्त अवसर है। यही वजह है कि लॉ का क्षेत्र अब केवल पुरुषों के वर्चस्व वाला नहीं रहा। स्वयं अभिभावक भी अब लड़कियों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूर्ण होने पर विगत दिवस नई दिल्ली में जो समारोह आयोजित हुआ था उसमें प्रधान न्यायाधीश श्री डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में देश के न्यायालयों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व निरंतर बढ़ने का विशेष तौर पर उल्लेख किया था। वर्तमान में जहाँ केरल जिला न्यायालय में करीब 72% महिलाएं हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में करीब 54% महिलाएं हैं, दिल्ली में 66% तथा राजस्थान में 58% महिलाएं न्यायलयों में कार्यरत हैं। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की जिला न्यायपालिका में भी महिलाओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। केवल जज या न्यायाधीश या न्याय अधिकारी के रूप में ही नहीं बल्कि वकालत में भी नारी शक्ति की बढ़ती अभिरुचि सभी के लिए एक अच्छा संकेत है। यह नारी संघर्ष के उस उपज की देन कही जा सकती है जिसमें उसका परंपरागत संघर्षपूर्ण जीवन दूसरों को भी न्याय दिलाने के लिए कर्तव्य की ओर प्रेरित करता है।